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जयराम ठाकुर का सुक्खू सरकार पर हमला – आपदा राहत कार्यक्रम को बनाया राजनीतिक मंच

➤ पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा – मुख्यमंत्री ने आपदा राहत कार्यक्रम को अपनी भड़ास निकालने का मंच बना दिया
➤ सुक्खू सरकार पर भ्रष्टाचार, कर-कर्ज मॉडल और शराब नीति में केजरीवाल जैसे खेल के आरोप
➤ बोले – आपदा में लोगों ने सरकार पर नहीं, भाजपा पर भरोसा किया; सरकार को लज्जा से डूब मरना चाहिए


मंडी। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा राहत वितरण कार्यक्रम को राजनीतिक मंच बना दिया है। ठाकुर ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने मर्यादाओं की सीमाएं तोड़ दीं। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम को पूरी तरह राजनीतिक रंग देने के लिए भाजपा विधायकों को आमंत्रित नहीं किया गया

जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को अब तक लगभग 5500 करोड़ रुपये और 1.11 लाख प्रधानमंत्री आवास दिए हैं, लेकिन राज्य सरकार अभी तक उस राशि का दसवां हिस्सा भी आपदा प्रभावितों तक नहीं पहुंचा पाई है। उन्होंने बताया कि जिस कार्यक्रम का इतना प्रचार किया गया, उसमें केवल 81 करोड़ रुपये ही बांटे गए, वह भी चार महीने की देरी से।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2023 की आपदा में टूटी सड़कें आज भी वैसे की वैसी हैं, और केंद्र द्वारा भेजे गए पैसों का उपयोग जनता तक नहीं पहुंच पाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अगर जनता को राहत देने के लिए केंद्र का पैसा पहुंचा देंगे तो यह “उनकी सबसे बड़ी मेहरबानी” होगी।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री का रवैया संवेदनहीन और अहंकारी हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों और विधायकों पर नियंत्रण खो चुके हैं और प्रदेश की जनता उनके रवैए से परेशान है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर में सड़क धंसने से 16 लोगों की मौत हुई, लेकिन मुख्यमंत्री ने वहां जाना भी जरूरी नहीं समझा।

ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार 1000 करोड़ की बिल्डिंगें बनाने की बात करते हैं। उन्होंने कहा – “अगर हमने संस्थान खोले तो क्या गलत किया? अगर चाहें तो उन सभी इमारतों को बुलडोजर से गिरा दें, क्योंकि निर्माण करना उनकी समझ से बाहर है।” उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार नकारात्मक राजनीति में विश्वास रखती है और प्रदेश को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे ले जाने में खुशी पाती है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुक्खू सरकार ने हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के सरकारी अनुबंध निजी ठेकेदारों को सौंप दिए हैं, जिनमें कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ठेकेदार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह सब “मित्र मंडली” के हित में किया जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस नेताओं की जेबें भरने का यही तरीका अपनाया गया है।

ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार में धारा 118 के नाम पर उगाही हो रही है और भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं पार कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि शराब नीति में बदलाव कर सरकार ने अरविंद केजरीवाल जैसे खेल शुरू कर दिए हैं। ठाकुर ने कहा कि शराब की एक पेटी पर लगभग 1250 रुपये का नुकसान होगा, जिससे प्रदेश को सैकड़ों करोड़ का राजस्व घाटा झेलना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि अंब की शराब फैक्ट्री में दो साल से अवैध उत्पादन चल रहा था, लेकिन जब कार्रवाई की बारी आई तो मुख्यमंत्री कार्यालय के लोग खुद हस्तक्षेप करने लगे। ठाकुर ने सवाल उठाया कि आखिर यह सब किसके इशारे पर हो रहा था?

उन्होंने कहा कि तीन साल में सुक्खू सरकार ने कर और कर्ज के मॉडल पर काम किया है और अब तक का कर्ज 40 हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। उन्होंने कहा – “जनता पर नए कर लादना और झूठ बोलना इस सरकार की पहचान बन चुका है। लोग इलाज के लिए मंगलसूत्र बेच रहे हैं, बच्चे तिरपाल के नीचे पढ़ रहे हैं, डेढ़ हजार से ज्यादा स्कूल बंद हैं और ठेकेदार भुगतान के लिए सड़कों पर भटक रहे हैं।”

जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा में सरकार पर नहीं, जनता ने भाजपा पर भरोसा किया। उन्होंने कहा – “सरकार को लज्जा से डूब मरना चाहिए, क्योंकि जनता ने मदद के लिए सरकार नहीं, हमारे कार्यकर्ताओं पर भरोसा किया।” उन्होंने बताया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने सिर पर 30 किलो तक का सामान उठाकर 15 किलोमीटर तक पैदल यात्रा कर राहत पहुंचाई।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता तो चंदे से खुलवाए गए रास्तों का बिल पीडब्ल्यूडी से अपने नाम पर बनवाने की लड़ाई लड़ रहे थे, जबकि भाजपा कार्यकर्ता मैदान में राहत पहुंचा रहे थे। ठाकुर ने कहा कि सरकार अब लोगों से भाजपा द्वारा एकत्रित राहत राशि का हिसाब मांग रही है, जो उसकी नैतिक दिवालियापन को दिखाता है।

प्रेस वार्ता के बाद जयराम ठाकुर ने महिला मोर्चा कार्यक्रम में भी भाग लिया और महिलाओं को सशक्तिकरण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है, जबकि राज्य सरकार ने ₹1500 भत्ते का वादा करके केवल छल किया है।